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7 Mar 2017

7march

कभी जोर से हँसता था दिल ख़ुशी में । आज तनहा छुप कर रोने की जगह ढूंढ़ता है। हवा ए हिज़रत बहुत ज़ोर से चली लेकिन चिराग जलते रहे यादो के दरीचों से अफ़ीम,गाजां,चरस,शराब हराम हैं समझ में आता है, तुम्हरी जुल्फ़,नज़र,लब और बदन का क्या करें जालिम। ✍दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो*,  धूल...
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