• खाली जेबे लिऐ, निकलो तो सही बाजार में,
वहम दूर हो जाएगा, इज़्ज़त कमाने का !!
• ले आओ ना टूटी छतरी
मोहब्बत की बारिश में आधा आधा भिगेंगे
• मेरी बदतमीजियां तो जग ज़ाहिर है, लेकिन,
शरीफो के शराफत के, निशां क्यों नही मिलते !!
• ख़ुदकुशी हराम है साहब.
मेरी मानो तो इश्क़ कर लो.
• तोड़ना चाहो जो वादे, तो सबब मत ढूंढो,
बेजुबानी भी बहुत होगी, मुकरने के लिए !!
• पहले इश्क़ को, आग होने दीजिए;
फिर दिल को, राख होने दीजिए!
तब जाकर पकेगी, बेपनाह मोहब्बत;
जो भी हो रहा, बेहिसाब होने दीजिए!
सजाएं मुकर्रर करना, इत्मिनान से;
मगर पहले कोई, गुनाह होने दीजिए!
मैं भूला नहीं, बस थोड़ा थक गया था;
लौट आऊंगा घर, शाम होने दीजिए!
चाँद के दीदार की चाहत, दिन में जगी है;
आयेगा नज़र वो, रात होने दीजिए!
जो सरिताएं, सूख गयी हैं इंतज़ार में;
वो भी भरेंगी, बस बरसात होने दीजिए!
नासमझ, पागल, आवारा, लापरवाह हैं जो;
संभल जाएंगे वो भी, एहसास होने दीजिए!
•रुख मस्जिद का किया था ....,
उसे भुलाने की *नीयत* से,
नमाज जो काबिल-ए-क़बूल* लगी,
तो
*दुआ में फिर उसी को* मांग बैठे..."
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