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7 Mar 2017

7march

कभी जोर से हँसता था दिल ख़ुशी में ।
आज तनहा छुप कर रोने की जगह ढूंढ़ता है।

हवा ए हिज़रत बहुत ज़ोर से चली लेकिन
चिराग जलते रहे यादो के दरीचों से

अफ़ीम,गाजां,चरस,शराब हराम हैं समझ में आता है,
तुम्हरी जुल्फ़,नज़र,लब और बदन का क्या करें जालिम।

✍दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो*,
 धूल हटती है तो आईने भी चमक उठते हैं...!!*❤

कोई  नहीं  याद   करता  वफ़ा  करने  वालो  को*
*मेरी  मानों  बेवफा  हो   जाओ  जमाना  याद  रखेगा*❤

काश बचपन में महोब्बत के टीके लगे होते,
आज मर्ज न तुमको होता और हम भी बचे होते !!

Supurde khak kar dala teri ankho ki masti ne
Hazaro saal jee lete agar tere deedar na hota

*बहुत मुश्किल नहीं हैं ज़िंदगी की सच्चाई समझना*
जिस तराज़ू पर दूसरों को तौलते हैं उस पर कभी ख़ुद बैठ के देखिये।*

मुझे सिर्फ वक़्त गुज़ारने के लिए
ना चाहा कर,मैं भी इंसान हूँ,
मुझे भी तकलीफ़ होती है
.
मैक़दे जाती सड़क पर
वह गुलाब बेचता है !!

सिर्फ, वाइज़ के हाथ
वह शराब बेचता है!!
_________________नजम

जरूरत हो तभी जलाओ
अपने आप को ...

उजालों में चिरागों की
अहमियत नहीं होती ...

मैकदा... शराबखाना
वाइज़.. नसीहत करने वाला

अजीब बेदर्द रिवाज है इस बेरहम दुनियां के
“साहीब”….
यहां अक्सर चिराग जलाने वाला ही,
उसे बुझाता है

*मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे....*

*जिंदगी सारी इस वहम ने ले ली.....*

पढ़ रहा था मुहब्बत की किताबो को,

पहले पन्ने में इश्क़ दिखा बाकी में बेवफ़ाई.!!

*एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार ये इश्क़ होता है साहब*

*कव्वालियों में थिरकने को तुम इश्क़ समझ बैठे हो साहब*।।।।

मेरा कत्ल करने की उसकी साजीश तो देखो,
करीब से गुज़री तो चेहरे से पर्दा हटा लिया...✍

आँधियों ने बहुत बढाया हौसला धूल का, दो बूंद बारिश ने औकात बता दी!*
*

जब एक रोटी के चार टुकङे हो और खाने वाले पांच हो तब मुझे भूख नही है ऐसा कहने वाला कौन है सिर्फ "माँ"*

*ज़िंदा रहने का..कुछ ऐसा 'अन्दाज़' रखो..!!*
*जो तुमको ना समझे..उन्हें 'नज़रंदाज' रखो..!*

आज मेरे लफ्जों की तबियत ठीक नहीं है दोस्तों..!!

आज आप...अपने पसंद की कोई शायरी ही सुना दो..!!

अगर हमें अपने इल्म पे गुरूर है तो ,,

हमारी ज़हालत के लिये ये क़ाफी है !!

अय हवा उस से ये केहना के सलामत है
                       अभी ,,
  तेरे फूलों को किताबों में छूपाने वाला !!

दिल की ज़ीद थी के शिकाय़त नहीं करनी ,,            
                         वरना
तुम से तो वो गिले हैं के ---- बस रहने दो !!

 मैं अपनी कलम से जंग का एलान करने वाला हूँ ,,

ज़ालिम के आगे ज़ुर्रत-ए- इनकार लिखने वाला हूँ  !!

मुख़्तसर सा गुरूर भी ज़रूरी है, जीने के लिए;

ज्यादा झुक के मिलो तो दुनिया, पीठ को पायदान बना लेती है!

सच तो ये कि अभी दिल को सुकूँ है लेकिन

अपने आवारा ख़यालात से जी डरता है

एक मोहब्बत ही पे मौक़ूफ़ नही है 'ताबिश'

कुछ बड़े फैसले हो जाते हैं नादानी में

इस शहर में चलती है हवा और तरह की

जुर्म और तरह के हैं सज़ा और तरह की

 सौ बार मरना चाहा निगाहों में डूब कर .!!

वो निगाह झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते.

सच्ची मोहब्बत मिलना भी तकदीर होती है,
बहुत कम लोगों के हाथों में ये लकीर होती है।

किस कदर मासूम था लहजा उनका ....*
*धीरे से 'जान' कह के बेजान कर दिया....*

चांद को देना है जवाब मुझे..!!
तुम मेरे लिए आज सवर जाओ....

जब दिल में कोई हड्डी ही नहीं है,
तो ये कमबख्त टूट कैसे जाता है !!

मुस्कुराहट, तबस्सुम, हँसी, कहकहे...
सब के सब खो गए, और हम बड़े हो गए...
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9 Feb 2017

SHAYARI

खो के दिल के कई हसीन एहसास ...
हाथ में इक सब्र आया बस .... !!
                             -
इतनी चाहत से ना देखा कीजिए महफ़िल में आप,

शहर वालों से हमारी दुश्मनी बढ़ जाएगी !!
                             -
बेशक़...उम्मीदें तो  बहुत सी  करता हूँ...पर...

हर उम्मीद पूरी ही हो...ये उम्मीद नहीं करता...
                             -
मैं खत्म हुआ इश्क़ में ,

 मेरी ख़ाक ने मुझे गुलिस्तां बना दिया..
                            -
ख़ुशबू कहीं छुपी है मोहब्बत के फूल की...

ली एक साँस और गली तक महक गई..
                           -
Mai milna chahta hun tujhse vahan
Lafz bhi darmiyaan naa hon jahan
                           -
*तेरी शान में क्या नज़्म कहूँ अल्फाज नही मिलते...

*कुछ गुलाब ऐसे भी हैं जो हर शाख पे नही खिलते.....
                           -
ज़िंदगी भर इश्क फरमाएंगे तुमसे,

मेरी मोहब्बत "valentine Day" की  मोहताज नही..!
                          -
कहने को जी रहें हैं बड़ी शॉन से मगर ....!!
हम हसरतों के क़र्ज़ में डूबे फ़क़ीर है ......!!
                          -
अब रहने भी दो ख़त्म नहीं होगी...
ये मुहब्बत है बस शुरू ही होती है...
                         -
पहचान रहा हूँ मैं तेरे हाथ की खुशबु,
पत्थर ये किसी और का फेंका नही लगता...
                         -
शर्त सलीक़ा है हर इक अम्र में
ऐब भी करने को हुनर चाहिए
                        -
💔​कोई उस दुकान का पता बताओ यारो जहाँ लिखा हो,​
.
​टूटे दिलो का काम तसल्ली से किया जाता है...
                       -
मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना, तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा

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29 Jan 2017

मुनव्वर राना

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
रोज़ मैं अपने लहू से उसे ख़त लिखता हूँ
रोज़ उंगली मेरी तेज़ाब में आ जाती है
दिल की गलियों से तेरी याद निकलती ही नहीं
सोहनी फिर इसी पंजाब में आ जाती है
रात भर जागते रहने का सिला है शायद
तेरी तस्वीर-सी महताब* में आ जाती है
एक कमरे में बसर करता है सारा कुनबा
सारी दुनिया दिले- बेताब में आ जाती है
ज़िन्दगी तू भी भिखारिन की रिदा* ओढ़े हुए
कूचा – ए – रेशमो -किमख़्वाब में आ जाती है
दुख किसी का हो छलक उठती हैं मेरी आँखें
सारी मिट्टी मिरे तालाब में आ जाती है
महताब – चाँद
रिदा- चादर
मुनव्वर राना 
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28 Jan 2017

KHUBSHURAT LINE

KHUBSHURAT line

जिसे अंजाम तक लाना, न हो मुमकिन ..

उसे ऐक ख़ूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा है ....


"लुटा चुका हूँ बहुत कुछ अपनी जिंदगी मेँ
 यारो  मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो जो लिखकर बयाँ करता हूँ !


मिन्नत-ए-चारा-साज़  कौन  करे  , दर्द  जब  जाँ-नवाज़  हो  जाए  ,


शाम होते ही सुस्त हो गया आजादी का जूनुन......

कमबख्त जरुर थक गया होगा दिखावे से....


मेरे अशआरों से ख़फ़ा हैं, कुछ दोस्त मेरे,

दुखती रगों पे, उँगलियाँ तो नहीं रख बैठा !!


कल रात, दर्द भी जाते जाते कह गया मुझसे,

रहम क्यूँ नहीं मांगता तु


दीदार तो एक ख़्वाब ठहरा, बात भी बेशक़ न हो,

बस एक उसकी ख़ैरियत का, पैग़ाम मिल जाया करे !!
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24 Jan 2017

Hindi Shayari


• खाली जेबे लिऐ, निकलो तो सही बाजार में,

  वहम दूर हो जाएगा, इज़्ज़त कमाने का !!

• ले आओ ना टूटी छतरी

  मोहब्बत की बारिश में आधा आधा भिगेंगे

• मेरी बदतमीजियां तो जग ज़ाहिर है, लेकिन,

  शरीफो के शराफत के, निशां क्यों नही मिलते !!

• ख़ुदकुशी हराम है साहब.

  मेरी मानो तो इश्क़ कर लो.

• तोड़ना चाहो जो वादे, तो सबब मत ढूंढो,

  बेजुबानी भी बहुत होगी, मुकरने के लिए !!

• पहले इश्क़ को, आग होने दीजिए;
  फिर दिल को, राख होने दीजिए!

  तब जाकर पकेगी, बेपनाह मोहब्बत;
  जो भी हो रहा, बेहिसाब होने दीजिए!

  सजाएं मुकर्रर करना, इत्मिनान से;
  मगर पहले कोई, गुनाह होने दीजिए!

  मैं भूला नहीं, बस थोड़ा थक गया था;
  लौट आऊंगा घर, शाम होने दीजिए!

  चाँद के दीदार की चाहत, दिन में जगी है;
  आयेगा नज़र वो, रात होने दीजिए!

  जो सरिताएं, सूख गयी हैं इंतज़ार में;
  वो भी भरेंगी, बस बरसात होने दीजिए!

  नासमझ, पागल, आवारा, लापरवाह हैं जो;
  संभल जाएंगे वो भी, एहसास होने दीजिए!

 •रुख मस्जिद का किया था ....,
  उसे भुलाने की *नीयत* से,

  नमाज जो काबिल-ए-क़बूल* लगी,
  तो
 *दुआ में फिर उसी को* मांग बैठे..."
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22 Jan 2017

SHAYRI HI SHAYRI

अंजान अपने आप से वो शख़्स रह गया,

जिसने उम्र गुज़ार दी औरों की फ़िक्र में.....


बिखर कर पत्तियाँ फूलों की, ये ऐलान करती है,

हमे हँसता ही पाओगें, तबाही के आलम में ..!!


घर अंदर ही अंदर, टूट जाते है,

मकान खड़े रहते हैं, बेशर्मो की तरह ..!


नाम तेरा जब किसी ओर के साथ जब जुड़ेगा,

सही मायने में अपनी मुकम्मल जुदाई होगी ..!!










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