
कभी जोर से हँसता था दिल ख़ुशी में ।
आज तनहा छुप कर रोने की जगह ढूंढ़ता है।
हवा ए हिज़रत बहुत ज़ोर से चली लेकिन
चिराग जलते रहे यादो के दरीचों से
अफ़ीम,गाजां,चरस,शराब हराम हैं समझ में आता है,
तुम्हरी जुल्फ़,नज़र,लब और बदन का क्या करें जालिम।
✍दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो*,
धूल...