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28 Jan 2017

KHUBSHURAT LINE

KHUBSHURAT line

जिसे अंजाम तक लाना, न हो मुमकिन ..

उसे ऐक ख़ूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा है ....


"लुटा चुका हूँ बहुत कुछ अपनी जिंदगी मेँ
 यारो  मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो जो लिखकर बयाँ करता हूँ !


मिन्नत-ए-चारा-साज़  कौन  करे  , दर्द  जब  जाँ-नवाज़  हो  जाए  ,


शाम होते ही सुस्त हो गया आजादी का जूनुन......

कमबख्त जरुर थक गया होगा दिखावे से....


मेरे अशआरों से ख़फ़ा हैं, कुछ दोस्त मेरे,

दुखती रगों पे, उँगलियाँ तो नहीं रख बैठा !!


कल रात, दर्द भी जाते जाते कह गया मुझसे,

रहम क्यूँ नहीं मांगता तु


दीदार तो एक ख़्वाब ठहरा, बात भी बेशक़ न हो,

बस एक उसकी ख़ैरियत का, पैग़ाम मिल जाया करे !!
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